एफएमसी इंडिया, कृषि समुदाय की सेवा करने और संपोषणीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए निरंतर अपने आपको बेहतर बनाने का काम करता है. वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में भारत में मक्का की फसलों पर हमला करने वाले फॉल आर्मी वर्म (एफएडब्ल्यू) के खतरे से निपटने के लिए, एफएमसी ने भारत के साइंस एडवोकेसी थिंक टैंक, साउथ एशिया बायोटेक कंसोर्टियम (एसएबीसी) के साथ समझौता किया है. इस परियोजना को निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ एफएमसी की परियोजना 'सफल' (कृषि और किसानों को फॉल आर्मीवर्म से बचाना) नाम दिया गया है:
- वैज्ञानिक डेटा और अनुभव और प्रतिष्ठित घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से सत्यापित योग्य रिपोर्ट के आधार पर फॉल आर्मीवर्म से संबंधित जानकारी के लिए संसाधन विकसित करना
- कृषि कार्य के एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) से संबंधित पैकेज के प्रदर्शन करने के लिए, संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सहयोग से कृषि प्रदर्शनों का आयोजन करना
- सूचना प्रसारित करने के लिए, नेटवर्क और संस्थानों के संग्रह के साथ एफएडब्ल्यू विशेष वेब-आधारित पोर्टल
- क्षमता निर्माण और कौशल विकास कार्यक्रम
इस परियोजना का उद्घाटन एफएमसी एशिया प्रशांत क्षेत्र की अध्यक्ष सुश्री बेथविन टॉड, एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष श्री प्रमोद और एफएमसी इंडिया की नेतृत्व करने वाली टीम के सदस्यों द्वारा किया गया. परियोजना 'सफल' अपने आप में एक केस स्टडी बन गया है. जमीनी स्तर पर आधारित एक आदर्श विस्तार परियोजना के रूप में, इसने विभिन्न वैश्विक और स्थानीय मंचों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय पौध संरक्षण सम्मेलन, एशिया सीड कांग्रेस, एफएडब्ल्यू सम्मेलन इंडोनेशिया आदि में बहुत प्रशंसा और मान्यता प्राप्त की।
पिछले 18 महीनों से जारी परियोजना 'सफल' ने एफएडब्ल्यू को लेकर किसानों और अन्य हितधारकों, जैसे सरकारी अधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, एनजीओ आदि के बीच व्यापक जागरूकता पैदा की है. यह इस भयानक कीट को नियंत्रित करने के लिए, अच्छी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है तथा जागरूकता और क्षमता निर्माण के माध्यम से देश को प्रभावी ढंग से और तुरंत कीट से निपटने में मदद करता है।
परियोजना www.fallarmyworm.org.in के तहत विकसित एफएडब्ल्यू वेबसाइट किसानों के लिए एक मानक वेबसाइट बन गया है और यहां किसान कीटों से संबंधित भारत में होने वाले सभी विकसित जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं. इसके तहत, प्रचार जागरूकता पैदा करने के लिए बनाई गई सामग्री, जैसे पोस्टर, लीफलेट, खिलौने आदि का व्यापक रूप से मक्का उगाने वाले राज्यों में कृषि विभागों और विश्वविद्यालयों द्वारा उपयोग किया गया है।
परियोजना 'सफल' ने बेहतर परिणाम के लिए कॉर्पोरेट मामलों, नियामक, अनुसंधान एवं विकास और वाणिज्यिक समूहों के साथ मिलकर काम किया और एफएमसी की उत्कृष्ट संस्कृति का उदाहरण पेश किया. इस परियोजना की वार्षिक रिपोर्ट हाल ही में नई दिल्ली में जारी की गई।
लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाली इस प्रमुख पहल के 2 वर्ष पूरा होने के अवसर पर जश्न मनाने के बीच, 'सफल' टीम ने कई रिकार्ड अपने नाम किए हैं।
“मई 2019 में बेथविन ने मुंबई मुख्यालय से परियोजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि हमें खुशी है कि हमें अपने व्यापक वैश्विक ज्ञान और सतत समाधानों के माध्यम से भारत के किसानों की सेवा करने का अवसर मिला है।
“परियोजना 'सफल' एमएमसी की एक और पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों को अपनी फसलों को फॉल आर्मीवर्म जैसे खतरनाक कीटों से बचाने के लिए सशक्त बनाना है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और कृषि में स्थिरता बनी रहे. परियोजना 'सफल' के साथ इस प्रयास में एसएबीसी के साथ साझेदारी करते हुए हमें गर्व हो रहा है" श्री प्रमोद थोटा, एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष और एजीएस बिज़नेस निदेशक ने कहा।
“हमने मिलकर ग्रामीण इलाकों में कृषि विस्तार प्रणाली में क्रांति ला दी है. हम भारत में सामाजिक-आर्थिक, खाद्य और भोजन सुरक्षा में आने वाले खतरों को दूर करने के लिए, आईसीएआर संस्थानों, केवीके, एसएयू, और राज्य कृषि विभागों और गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न एजेंसियों को सफलतापूर्वक एक साथ लाने में सक्षम हैं" डॉ. सी डी माई, अध्यक्ष, दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र ने कहा।
“इस परियोजना की सफलता भी एफएमसी टीम के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें सरकारी मामलों, नियामक, अनुसंधान और विकास और वाणिज्यिक टीमों के प्रत्येक सदस्य अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं. एपीएसी स्तर पर परियोजना के लिए आंतरिक स्वीकृति बहुत संतोषजनक है” राजू कपूर, लोक एवं उद्योग मामलों के प्रमुख ने कहा।