मुख्य कंटेंट पर जाएं
मेन्यू खोलने के लिए क्लिक करें
मेन्यू बंद करने के लिए क्लिक करें
मुख्य सामग्री शुरू करें
madhushakti

एफएमसी ने मधुमक्खी पालन में उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जीबी पंत विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की

पंत नगर, 29 अप्रैल, 2022: कृषि विज्ञान क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी एफएमसी इंडिया ने आज गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबी पंत विश्वविद्यालय) के साथ साझेदारी की घोषणा की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में मधुमक्खी पालन के माध्यम से उद्यमिता को विकसित करना है ताकि वे अपने परिवार के लिए स्थायी आय अर्जित कर सकें और अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकें।

इस परियोजना को मधुशक्ति (हिंदी में मधु का अर्थ "शहद" और शक्ति का आशय "स्त्री ऊर्जा" होता है) नाम दिया गया है, यह भारत में अपनी तरह की पहली नवोन्मेषी सतत पहल है. तीन वर्षों की अवधि वाली इस परियोजना को हिमालयी पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है, जहां शहद उत्पादन के लिए उपयोगी प्राकृतिक जड़ी बूटियों और वनस्पतियों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. उत्तराखंड की लगभग 53 प्रतिशत जनसंख्या पहाड़ियों और पर्वतों पर रहती है, जिनमें से 60 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे आते हैं।

एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष श्री रवि अन्नावरपु ने कहा, "मधुशक्ति परियोजना के संबंध में हमारा उद्देश्य कृषि में स्थायी व्यावसायिक अवसरों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाकर ग्रामीण परिवारों के जीवन को परिवर्तित करना है. हम उन किसानों की सहायता के लिए संधारणीय कृषि को अपनी प्रतिबद्धता के केंद्र में रखते हैं, जो भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए एक सुरक्षित और आश्वस्त खाद्य आपूर्ति बनाए रखते हैं. इस परियोजना की सफलता न केवल महिला किसानों को मधुमक्खी पालन को एक लाभदायक विकल्प के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करेगी, बल्कि गहन कृषि के अंतर्गत परागण कर्ताओं की आबादी की सुरक्षा से संबंधित वैश्विक चिंताओं को भी दूर करेगी.” 

इस परियोजना के हिस्से के रूप में, सितारगंज, कोटाबाग व अल्मोड़ा और रानीखेत के शहरों से ग्रामीण महिलाओं को चुना जाएगा और उन्हें मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. किसानों के छत्तों से प्राप्त होने वाले शहद को विश्वविद्यालय के शहद अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एचबीआरटीसी) के द्वारा खरीदा जाएगा. किसानों के भुगतान को आसान बनाने और मधुमक्खी के छत्तों से प्राप्त होने वाले उत्पादों के विपणन के लिए परिक्रामी निधि की स्थापना की जाएगी. इस परियोजना में परागणकर्ता के व्यवहार पर भी करीब से नज़र रखी जाएगी, जिससे वैज्ञानिक ज्ञान का एक कोष विकसित होगा जो देशभर के मधुमक्खी पालकों के लिए लाभदायक होगा।

मधुशक्ति परियोजना की सफलता का उद्देश्य देश की महिला किसानों को उद्यमी व्यवसाय के रूप में मधुमक्खी पालन को अपनाने के लिए प्रेरित करना है. उत्तराखंड में परागण करने वाले कीटों के घनत्व में वृद्धि के परिणामस्वरूप परागण की दर में वृद्धि अपेक्षित है और इससे जैव विविधता बढ़ेगी, जिससे कृषि उत्पादकता में मदद मिलती है. इस परियोजना के अन्य लक्ष्यों में अच्छी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना शामिल है, जिसके अंतर्गत मधुमक्खियों को सुरक्षित रखते हुए कीटनाशकों का सुरक्षित और न्यायोचित मात्रा में उपयोग किया जाएगा।

जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चौहान ने कहा, "मधुमक्खी पालन राज्य की ग्रामीण महिलाओं के लिए न्यूनतम निवेश और कई फायदों के साथ अतिरिक्त आय सृजित करने के सबसे सतत व्यावसायिक अवसरों में से एक है. राज्य की समृद्ध जैव विविधता मधुमक्खियों की आबादी में वृद्धि होने, कई किस्मों के शहद का उत्पादन करने और पारिस्थितिकी तंत्र का सही संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी. यह परियोजना न केवल पर्यावरण, बल्कि व्यक्तिगत किसानों के लिए भी लाभदायक होगी.”

उत्तराखंड जैसे जैव-विविधता से भरपूर राज्य में, मधुमक्खी पालन की क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं किया गया है. वर्तमान में राज्य केवल 12,500 मीट्रिक टन शहद का ही उत्पादन करता है. मधुशक्ति जैसे कार्यक्रम के तत्वावधान में यह आंकड़ा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ने की उम्मीद है।

मधुमक्खी पालन एक बेहद आकर्षक और लाभदायक ग्रामीणकृषि-आधारित उद्यम है क्योंकि इसमें किसी भी परिष्कृत तकनीक या बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं है, और निवेश भी कम लगता है किसान समुदाय की आय बढ़ाने के लिए एक सम्बद्ध गतिविधि के रूप में यह एकीकृत कृषि प्रणाली के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है।

इस परियोजना का शुभारंभ जी.बी. पंत विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ. ए.के. शुक्ला, एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष रवि अन्नावरपु, विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अजीत नैन, सार्वजनिक और उद्योग मामलों के लिए एफएमसी निदेशक राजू कपूर और एशिया प्रशांत क्षेत्र की एफएमसी स्टुअर्डशिप लीड एस्ले एनजी की उपस्थिति में किया गया।

एफएमसी के बारे में

एफएमसी कॉर्पोरेशन एक वैश्विक कृषि विज्ञान कंपनी है जो किसानों को बदलते वातावरण के साथ अनुकूलन बनाते हुए विश्व की जनसंख्या के लिए भोजन, खाद्य, रेशे और ईंधन उत्पादित करने में मदद करने के लिए समर्पित है. एफएमसी के नवोन्मेषी फसल सुरक्षा समाधान - जिनमें जैविक समाधान, फसल पोषण समाधान व डिजिटल और सटीक कृषि से संबंधित समाधान शामिल हैं - फसल उत्पादकों, फसल सलाहकारों और टर्फ और कीट प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों को पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए आर्थिक रूप से अपनी सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाते हैं. दुनियाभर में 100 से अधिक कार्यालयों/कारखानों में लगभग 6,400 कर्मचारियों के साथ, एफएमसी नए शाकनाशी, कीटनाशी और फफूंदनाशी सक्रिय घटकों की खोज करने और उत्पाद निर्माण की पद्धतियों और अग्रणी तकनीकों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो इस दुनिया के लिए लगातार बेहतर साबित हो सकें। देखें fmc.com और ag.fmc.com/in/en अधिक जानने के लिए और इन प्लेटफॉर्म पर एफएमसी इंडिया को फॉलो करें फेसबुक® और यूट्यूब®.

Madhu shakti

 

madhushkti2