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बिहार की दिव्या राज कृषि के लिए मिट्टी के टिकाऊ उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं, उन्हें एफएमसी इंडिया द्वारा साइंस लीडर्स स्कॉलरशिप प्रदान की गई है

4 जून 2024: दिव्या राज, उत्तराखंड के पंतनगर स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी) में सॉइल साइंस और कृषि रसायन विज्ञान विभाग में मास्टर्स की छात्रा हैं और उन्हें कृषि विज्ञान कंपनी एफएमसी इंडिया द्वारा प्रतिष्ठित साइंस लीडर्स स्कॉलरशिप प्रदान की गई है. सॉइल साइंस में गहन रुचि से प्रेरित होकर और एफएमसी इंडिया के सहयोग से दिव्या मिट्टी के गुण और उसके प्रबंधन के बारे में अपने ज्ञान और समझ को बढ़ाने की महत्त्वाकांक्षा रखती हैं, साथ ही कृषि क्षेत्र में, मिट्टी के गुणों में सुधार करके सर्वोत्कृष्ट उत्पादन किया जा सके, इसपर भी निरंतर कार्य कर रही हैं

Ms. Divya Raj - FMC Science Leaders Scholarship

2021 से शुरू एफएमसी साइंस लीडर्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम द्वारा हर साल कृषि विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले बीस छात्रों को छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती है. पीएचडी करने वाले दस विद्यार्थियों और कृषि विज्ञान में एमएससी करने वाले दस विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप दी गई है। इनमें से पचास प्रतिशत छात्रवृत्तियां महत्वाकांक्षी और प्रतिभाशाली महिलाओं के लिए निर्धारित होती हैं, जो कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं. एफएमसी इंडिया के प्रोग्राम का लक्ष्य युवा वैज्ञानिकों को अवसर प्रदान करना है, ताकि वे कृषि अनुसंधान और नवाचार में अपने कौशल को विकसित कर सकें। स्कॉलरशिप प्रोग्राम की स्थापना इस उद्देश्य से की गई कि इससे क्षमता और कौशल का विकास होगा, साथ ही ऐसे युवा जो इंडस्ट्री में काम करना चाहते हैं उनके लिए अनुसंधान और नवाचार का विस्तार होगा।

एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष, रवि अन्नवरपु ने कहा, "हम एफएमसी में एक ऐसा विविध और समावेशी परिवेश बनाने के लिए समर्पित रहते हैं, जो कृषि क्षेत्र में समग्र रूप से उन्नति को बढ़ावा देता है. हम कृषि क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम अनुसंधान और नवाचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका को अच्छी तरह से पहचानते हैं, इसलिए हम उन युवाओं की प्रतिभा को संवारने की कोशिश करते हैं जो नए विचारों द्वारा इस क्षेत्र में अमूल्य योगदान दे सकते हैं. ऐसा करके, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कृषि पद्धतियां निरंतर मज़बूत और टिकाऊ बनी रहें और सभी इसे लाभान्वित हों"

डॉ. किरण पी. रावेरकर, डीन- पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज़, जीबीपीयूएटी ने कहा, "एफएमसी कर्मियों और सलाहकार समिति के साथ हुई हमारी बातचीत से महत्त्वपूर्ण विचार उभरे हैं और रिसर्च के उद्देश्यों में इसने अहम भूमिका निभाई है. एफएमसी के साथ हमारी साझेदारी से प्रदान होने वाली स्कॉलरशिप से विद्यार्थी महत्त्वपूर्ण रूप से अपने कौशल और विश्लेषणात्मक क्षमता का विकास कर पा रहे हैं, साथ ही वे विशेष प्रशिक्षण पा रहे हैं, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार, वर्कशॉप और फोरम में हिस्सा भी ले रहे हैं. हमारे विद्यार्थी अपना करियर बनाने के लिए न केवल बेहतरीन मार्ग की पहचान कर पा रहे हैं, बल्कि आकर्षक अवसरों के ज़रिए उनमें दूरदर्शिता विकसित हो रही है, साथ ही वे वर्तमान ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, मिट्टी के गुणों के विषय में दिव्या की रुचि उन्हें जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर योगदान के लिए चैंपियन के रूप में स्थापित करती है, एक ऐसी चैंपियन जो इस तरह के मुद्दों पर गहन शोध करती हैं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सरकार और उद्योगों के साथ मिलकर उभरती हुई समस्याओं के लिए समाधान प्राप्त करती हैं. हमें पूरा विश्वास है कि इस तरह के और भी प्रतिभाशाली विद्यार्थी बड़े पैमाने पर टिकाऊ कृषि पद्धति में सुधार लाएंगे"

इस अवसर पर अपने अनुभव को साझा करते हुए, दिव्याने कहा, "मेरा मानना है कि कृषि का अर्थ सिर्फ कृषि न होकर इससे कहीं अधिक है; इसमें करियर की दिशा में व्यापक संभावनाएं हैं. जब मैंने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, तब मुझे एफएमसी साइंस लीडर्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में पता चला. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान सॉइल साइंस के विषय में मेरा जूनून बढ़ गया और टिकाऊ कृषि उत्पादन में मिट्टी के गुण और इसके प्रबंधन में मेरी गहन रुचि जागी. मैं सचमुच में आभारी हूं कि एफएमसी ने इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम के ज़रिए उदारतापूर्वक सहायता प्रदान की, जिससे मुझे आर्थिक रूप से सशक्त होने और विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली. मैं अपने शोध के द्वारा कृषि क्षेत्र में नई पद्धतियां विकसित करने की इच्छा रखती हूं, जिससे कि मिट्टी गुण और उपयोग टिकाऊ बनेंगे और कृषकों द्वारा सामना की जाने वाली महत्त्वपूर्ण चुनौतियों से भी उन्हें समाधान प्राप्त होगा

दिव्या ने स्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा बिहार से पूरी की और आईसीएआर फेलोशिप के तहत जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी), पंतनगर से ग्रेजुएशन किया, जहां सॉइल साइंस के विषय में उनमें गहरी रुचि जागी. सॉइल साइंस में अपने जुनून को पूरा करने के लिए दिव्या ने जीबीपीयूएटी, पंतनगर, उत्तराखंड में सॉइल साइंस विभाग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. अपनी शिक्षा के ज़रिए उन्होंने कृषि सिद्धांतों और पद्धतियों में मज़बूत पकड़ बनाई।

हर साल, कृषि विज्ञान में पीएचडी/एमएससी करने वाले बीस छात्र, देश भर के एफएमसी साइंस लीडर्स स्कॉलरशिप से पहले से ही हुए लाभान्वित छात्रों के समूह में शामिल होते जा रहे हैं।  

एफएमसी के बारे में 

एफएमसी कॉर्पोरेशन एक वैश्विक कृषि विज्ञान कंपनी है जो किसानों को बदलते वातावरण के साथ अनुकूलन बनाते हुए विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन, खाद्य, रेशे और ईंधन उत्पादित करने में मदद करने के लिए समर्पित है। एफएमसी के नवोन्मेषी फसल सुरक्षा समाधान - जिनमें जैविक समाधान, फसल पोषण समाधान व डिजिटल और सटीक कृषि से संबंधित समाधान शामिल हैं - फसल उत्पादकों, फसल सलाहकारों और टर्फ और कीट प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों को पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए आर्थिक रूप से अपनी सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाते हैं। दुनियाभर में सौ से अधिक कार्यालयों/कारखानों में लगभग 6,400 कर्मचारियों के साथ, एफएमसी नए शाकनाशी, कीटनाशी और फफूंदनाशी से संबंधित सक्रिय घटकों की खोज करने तथा उत्पाद निर्माण की पद्धतियों और ऐसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो इस दुनिया के लिए लगातार बेहतर साबित हो सकें। देखें fmc.com और ag.fmc.com/in/en अधिक जानने के लिए और इन प्लेटफॉर्म पर एफएमसी इंडिया को फॉलो करें फेसबुक और यूट्यूब.