संस्थानों को इसमें सुधार लाने के लिए, निर्धारित चुनौतियों का जल्द से जल्द समाधान करने की आवश्यकता है. कॉर्पोरेट इकोसिस्टम की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति से सीख कर और कृषि और संबद्ध उद्योगों के लिए उपयुक्त विकल्प की खोज करके इसे आसानी से पूरा किया जा सकता है।
कई अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी मज़बूत पहचान बनाने के बाद भी, कृषि और संबद्ध उद्योगों में कॉर्पोरेट स्तर पर महिला प्रतिभाओं की बहुत कमी है. इसके कई कारण हैं, जिनमें सुविधाओं की कमी, सुरक्षा संबंधी मुद्दे, इकोसिस्टम में मौजूद लैंगिक पक्षपात, यौन उत्पीड़न और महिलाओं की निर्णय लेने वाली भूमिकाओं को स्वीकार करने में समाज की अक्षमता शामिल हैं।
ऐसी कितनी महिलाएं हैं, जिन्होंने कृषि भूमि के अलावा भारतीय कृषि क्षेत्र के सप्लाई चेन, उर्वरक और अन्य संबद्ध उद्योगों में अपनी पहचान और शानदार करियर बनाया है? क्या आपको पापाम्मल, अपर्णा राजगोपाल, राहीबाई सोमा पोपेरे, कमला पुजारी के अलावा अन्य महिलाओं के बारे में जानकारी है? सकीना राजकोटवाला और गीता राजमणि जैसी महिलाएं, जिन्होंने करियर के रूप में अधिक आकर्षक क्षेत्रों को चुनने की बजाए कृषि स्टार्ट-अप बनाए हैं, इनके अलावा अन्य महिलाओं के बारे में आप नहीं जानते होंगे, जिन्होंने करियर बनाने के उद्देश्य से कृषि व्यवसाय संबंधी क्षेत्रों को चुना है।
समय की आवश्यकता
इस क्षेत्र के सभी पहलुओं में पुरुषों के पक्ष में स्पष्ट झुकाव के कारण, महिलाएं या तो अन्य अधिक आकर्षक करियर विकल्पों की तलाश में इस क्षेत्र को छोड़ देती हैं या इससे भी खराब स्थिति, कृषि या इसके संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाएं भी कभी भी इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करती हैं।
एक उद्योग के रूप में भारतीय कृषि और संबद्ध क्षेत्र को, न केवल महिलाओं लिए अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता है, बल्कि इसे अधिक से अधिक महिलाओं को प्रमुख भूमिकाओं के लिए आकर्षित करने, कुशल बनाने और प्रवीण होने के लिए एक मंच भी बनाने की आवश्यकता है।
अगर संबद्ध उद्योगों में उच्च पदों पर संभव न हो, तो महिलाओं को कृषि सामग्री आपूर्तिकर्ता, थोक व्यापारी और वितरक, खुदरा विक्रेता, कृषि-विपणन, उर्वरक और कीटनाशक, मशीनरी, पशुधन, उपयोग की जाने वाली अन्य सामग्री, सप्लाई चेन, रसद, और अन्य क्षेत्रों में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए. इसके लिए छात्रवृत्ति/अनुदान प्रदान करके, कृषि महाविद्यालयों में स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर महिलाओं की प्रतिभा की पहचान करके और उन्हें तैयार किया जा सकता है. या लंबी अवधि के लिए, इसे विभिन्न महिला समूहों के माध्यम से प्रतिभाओं की पहचान करके और उन्हें कुशल बनाकर, या महिलाओं के लिए सम्मेलन और नेटवर्किंग कार्यक्रम द्वारा किया जा सकता है, जिसमें कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं की बात सुनी जा सके और प्रतिनिधित्व को बेहतर बनाया जा सके।
संस्थानों को इसमें सुधार लाने के लिए, निर्धारित चुनौतियों का जल्द से जल्द समाधान करने की आवश्यकता है. कॉर्पोरेट इकोसिस्टम की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति से सीख कर और कृषि और संबद्ध उद्योगों के लिए उपयुक्त विकल्प की खोज करके इसे आसानी से पूरा किया जा सकता है।
चुनौतियों का सामना करना
व्यवसाय का पहला उद्देश्य देश भर में, विशेष रूप से अंतिम छोर तक बेहतर सुविधाएं और बुनियादी ढांचा बनाना होना चाहिए. कंपनियां उन स्थानों पर पहले ध्यान केंद्रित करके इसे संभव बना सकती हैं, जो उनके लिए प्राथमिकता है. विभिन्न स्थानों पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए, सरकार के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अवसरों के बारे में भी जाना जा सकता है।
इसके अलावा, इकोसिस्टम में लैंगिक पक्षपात और सामाजिक बाधाओं को दूर करना समय की आवश्यकता बन गया है. इस समस्या का समाधान कई तरीकों से किया जा सकता है. अपने कर्मचारियों और प्रभाव क्षेत्र के भीतर, कंपनियां कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए परामर्श सत्र शुरू कर सकती हैं, जिससे लोगों को मदद मिल सकती है. इसके अलावा, पारिवारिक स्तर पर भी इसका समाधान करने की आवश्यकता है, जिसमें सरकार और शिक्षा प्रणाली की भागीदारी आवश्यक है.. यह बदलाव एक रात में संभव नहीं है, इसमें छोटे-छोटे चरण शामिल हैं, जिन पर लम्बे समय तक काम करने की आवश्यकता है।
सुरक्षा और यौन उत्पीड़न से जुड़े सवालों का भी बहुत हद तक, कंपनी के स्तर पर और व्यापक इकोसिस्टम द्वारा जागरूकता पैदा करके और सहायक प्रयासों द्वारा समाधान किया जा सकता है।
विभिन्न कंपनियां पहले से ही कई अच्छी पहल कर रहीं हैं. हमारे पास अगले कुछ वर्षों में 50:50 लैंगिक अनुपात स्थापित करने के लिए वुमेन इनिशिएटिव नेटवर्क (विन) है. इसके अलावा, हमने इस क्षेत्र में अधिक महिला प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए, उन्हें 50% स्थान देने के साथ एक बहु-वर्षीय साइंस लीडर्स छात्रवृत्ति कार्यक्रम भी शुरू किया है. इस तरह की पहलों को अब गति देने की आवश्यकता है. मेंटरिंग (परामर्श) और नेटवर्किंग फोरम, छात्रवृत्ति, छात्रों को लोन, सरकार द्वारा मानक संचालन प्रक्रियाएं और बेहतर बैकेंड सपोर्ट सिस्टम, जहां परिवार महिलाओं को प्रोत्साहित और प्रेरित करें, इस तरह के प्रयास इस दिशा में लंबी अवधि के लिए लाभ पहुंचा सकते हैं।
अब आगे बढ़ने का समय है
हम यह मानते हैं कि ज़मीनी स्तर पर महिलाओं की भूमिका में सुधार हो रहा है, लेकिन अब और आगे बढ़ने का समय है, ताकि कृषि और कृषि व्यवसाय से जुड़े क्षेत्र में प्रबंधन के शीर्ष पदों पर नेतृत्वकर्ता के रूप में महिला की संख्या अधिक हो. अब समय आ गया है, जब महिलाओं को आगे कदम बढ़ाना चाहिए और समान अवसरों और नेतृत्व की भूमिकाओं में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए और साथ ही यह निश्चित रूप से संबद्ध क्षेत्रों के संगठनों द्वारा महिलाओं को नए अवसर प्रदान करने का भी समय है।
इन प्रयासों द्वारा जल्द ही हम इस क्षेत्र में काम कर रही गुरदेव कौर देओल और काव्या चंद्र जैसी अन्य महिलाओं के नाम भी उसी गर्व और सम्मान के साथ ले सकेंगे, जैसा कि इंद्रा नूई, देबजानी घोष, रोशनी नादर और अन्य महिलाओं का नाम लेते हैं।